Wednesday, May 13, 2020

बढती बेरोजगारी मजदूरो पर पङी भारी 😞

 विकासशील देशों में निम्न प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है
1. मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment): इस प्रकार की बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में पाई जाती है. कृषि में लगे लोगों को कृषि की जुताई, बोवाई, कटाई आदि कार्यों के समय तो रोजगार मिलता है लेकिन जैसे ही कृषि कार्य ख़त्म हो जाता है तो कृषि में लगे लोग बेरोजगार हो जाते हैं.!


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3. संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment): संरचनात्मक बेरोजगारी तब प्रकट होती है जब बाजार में दीर्घकालिक स्थितियों में बदलाव आता है. उदाहरण के लिए: भारत में स्कूटर का उत्पादन बंद हो गया है और कार का उत्पादन बढ़ रहा है. इस नए विकास के कारण स्कूटर के उत्पादन में लगे मिस्त्री बेरोजगार हो गए और कार बनाने वालों की मांग बढ़ गयी है.  इस प्रकार की बेरोजगारी देश की आर्थिक संरचना में परिवर्तन के कारण पैदा होती है.!

विभिन्न सूचकांकों और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट में भारत की रैंक (2019-20)


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विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020: 
👉भारतीय रैंक, पैरामीटर और रैंक गिरने के कारण

भारत में प्रमुख श्रम कानूनों की सूची:-
विभिन्न देशों को उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, व्यापार और व्यवसाय वातावरण आदि के आधार पर हर साल कई अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट और इंडेक्स में रैंक दी जाती है. इस लेख में हमने विश्व बैंक, आईएमएफ और विश्व आर्थिक मंच जैसे कुछ प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की रिपोर्ट प्रकाशित की है और इनमें भारत की स्थिति भी बतायी है!


लॉकडाउन के बीच मिली राहत! मई के शुरुआती हफ्ते में बेरोजगारी दर 3 फीसदी घटी

सेन्टर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक, 10 मई को खत्म हफ्ते में बेरोज़गारी दर 3 फीसदी तक गिर गई है. खेती की गितिविधिया बढ़ने से लोगों को रोज़गार मिला है. आइए जानें पूरी रिपोर्ट के बारे में...
 >> राहत भरी खबर ये रही कि 20 अप्रैल के बाद लगभग 58 लाख किसान खेती-किसानी से जुड़े काम में जुट गए. वहीं, ग्रामीण बेरोजगारी दर में 4 फीसदी की गिरावट आई है.
>> रिपोर्ट के मुताबिक, बुआई और खेती से जुड़ी अन्य गतिविधियां शुरू होने से लोगों को रोज़गार मिला है.
>> इसके अलावा होटल और रेस्टोरेंट उद्योग पर भी काफी ज्यादा मार पड़ी है. इसके अतिरिक्त मल्टीप्लेक्स रिटेल एविएशन मैन्युफैक्चरिंग और मीडिया उद्योग पर भी लॉकडाउन का बेहद बुरा असर हुआ है. इसी के चलते बड़े पैमाने पर नौकरियां और रोजगार छीने हैं.
इन राज्यों में तेजी से बढ़ी बेरोज़गारी
>> CMIE की इससे पहले रिपोर्ट में बताया गया था कि तमिलनाडु में बेरोज़गारी दर 49.8 फीसदी रही है. वहीं, झारखंड में ये आंकड़ा 47.1 फीसदी रहा है तो बिहार में ये आंकड़ा 46.6 फीसदी रहा है.
>> वहीं अगर उन राज्यों की बात करें जहां पर बेरोजगारी दर सबसे कम रही है तो इसमें पहले नंबर पर पंजाब आता है.
>>  वही दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ है तो तीसरे नंबर पर तेलंगाना का नंबर आता है तो उसका पंजाब में बेरोजगारी दर 2.9 फीसदी रही है.
>> वही बात अगर छत्तीसगढ़ की करें तो यह आंकड़ा 3.4 फीसदी का रहा है जबकि तेलंगाना की अगर बात करें तो वहां बेरोजगारी दर 6.2 फीसदी रही है.
ये भी पढ़ें-मोदी सरकार की इस स्कीम से 5 साल में जुड़े 2 करोड़ लोग, मिलती है ₹5 हजार पेंशन

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Covid 19) के संक्रमण को रोकने के मद्देनज़र जारी लॉकडाउन (Lockedown Part 3) से देश के सभी बिजनेस  पर मार पड़ी है. लेकिन छोटे और मझोले उद्योगों पर इसका असर ज्यादा दिख रहा है. हालांकि, सरकार की ओर से कुछ इंडस्ट्री शुरू करने को मिली छूट के बाद बेरोज़गारी दर में गिरावट आई है.  सेन्टर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE-Centre for Monitoring of Indian Economy) के आंकड़ों के मुताबिक, 10 मई को खत्म हफ्ते में बेरोज़गारी दर 27.11 फीसदी से गिरकर 23.97 फीसदी पर आ गई है.
आपको बता दें कि अप्रैल महीने तक 12.15 करोड़ लोगों का रोज़गार जा चुका है. इनमें से 9.13 करोड़ दिहाड़ी मजदूर और छोटे व्यापारियों के यहां काम करने वाले लोगों का रोज़गार गया है. सीएमआईई के सर्वे में 1,17,000 लोगों शामिल है. इन सभी से बातचीत की गई है.!


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